उत्तराखंड का कुमाऊँनी-गढ़वाली सिनेमा : पुराना दौर और नया दौर | टॉप 10 देखने लायक फिल्में

उत्तराखंड का कुमाऊँनी-गढ़वाली सिनेमा : पुराना दौर और नया दौर

उत्तराखंड की लोकसंस्कृति, संगीत और परंपराओं का रंग उसके **कुमाऊँनी और गढ़वाली सिनेमा** में साफ दिखाई देता है।  


**पुराने दौर** (1970–1990) में फिल्में सीमित संसाधनों और लोकसंगीत पर आधारित थीं। सबसे चर्चित गढ़वाली फिल्म **“जगार” (1983, निर्देशक – दीपक बालियान)** रही, जिसमें लोकदेवताओं की पूजा और सामाजिक जीवन दिखाया गया। 

वहीं कुमाऊँनी सिनेमा में **“मेरी गंगा हो तुमि” (1987, निर्माता – प्रवीण शाह)** एक बड़ी हिट रही। पुराने दौर में गायक **गोपाल बाबू गोस्वामी**, **नरेन्द्र सिंह नेगी** और **चित्रा सिंह** जैसे कलाकारों की आवाज़ ने फिल्मों को पहचान दिलाई।

**नए दौर** (2000 के बाद) में डिजिटल तकनीक और यूट्यूब ने बड़ा योगदान दिया। गढ़वाली फिल्म **“तव घी रौतेला” (2004)** और कुमाऊँनी फिल्म **“सुन पटाई” (2010)** ने युवा दर्शकों का ध्यान खींचा। आज यूट्यूब पर लाखों दर्शक **पवन दीवान, मीना राणा, गजेंद्र राणा, गीता उनियाल** जैसे कलाकारों के गीत सुनते हैं।

 नए दौर के गीत – *“बेडू पाको बारामासा”*, *“फूल देई छम्मा देई”* – बार-बार फिल्माए जाते हैं।

**लोकप्रिय डायलॉग**:

* “हम पिरुल के छांव तले भी खुश रह लेते हैं।” (गढ़वाली फिल्म – *जागर*)

* “ये पहाड़ हमें जीना सिखाता है।” (कुमाऊँनी फिल्म – *मेरी गंगा हो तुमि*)

 टॉप 10 देखने लायक फिल्में/वीडियो (पुराना और नया मिश्रण)


1. **जागर (गढ़वाली, 1983)** – देव संस्कृति पर आधारित

https://youtu.be/6Q9w03j2obg?si=oCgzgzq8-gFGaN1c

2. **मेरी गंगा हो तुमि (कुमाऊँनी, 1987)**

3. **बेडू पाको बारामासा (लोकगीत वीडियो, 1970s)**

4. **तव घी रौतेला (गढ़वाली, 2004)**

5. **सुन पटाई (कुमाऊँनी, 2010)**

6. **नंदा देवी राजजात यात्रा डॉक्यूमेंट्री**

7. **पवन दीवान – “झुमका गिरा रे” (कुमाऊँनी वीडियो)**

8. **मीना राणा – “छोरी छम-छम नाचे” (गढ़वाली वीडियो)**

9. **गजेंद्र राणा – “ठाड मोड़” (लोकप्रिय यूट्यूब वीडियो)**

10. **उत्तराखंडी लोकनृत्य और गीत संकलन (यूट्यूब प्लेलिस्ट)**


👉 ये फ़िल्में और वीडियो उत्तराखंड की **संस्कृति, बोली, संगीत और संघर्ष** को पीढ़ियों तक जीवित रखने का कार्य कर रही हैं।


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