स्थाई राजधानी गैरसैंण | RAJDHANI GAIRSAIN
"स्थाई राजधानी गैरसैंण गैर किलै "
उत्तराखण्ड अलग राज्य की मांग में स्थाई राजधानी के लिए उत्तराखण्ड के मध्य स्थित गैरसैण (चमोली) को ही चिन्हित किया गया था, किन्तु कुछ अपरिहार्य कारणों के चलते देहरदून को अस्थाई राजधानी बना कर गैरसैंण को विचारधीन रख दिया गया |
वर्तमान में कुछ आंदोलन जोर पकड़ने की कोशिश कर रहे है लेकिन यह आंदोलन क्या निष्कर्ष तक पहुँच पाएंगे या फिर SSB गोरिल्ला आंदोलन की तरह सिर्फ चलते ही रहेंगे |
गैरसैण पर सभी राजनीतिक दलों ने अपना पक्ष पुरजोर तरीके से कभी नहीं उठाया | बस चुनावी जुमले की तरह सभी अपना सर हिला देते है |
पहाड़ की राजधानी पहाड़ न होने के कारण विकाश कार्यों की धीमी गति ने प्रदेश की कमर तोड़ के रखी है|
भौगोलिक विशेषता
गैरसैंण समुद्र सतह से लगभग 5750 फुट की ऊँचाई पर स्थित मैदानी तथा प्रकृति का सुन्दरतम भू-भाग है। यह समूचे उत्तराखण्ड के बीचों-बीच तथा सुविधा सम्पन्न क्षेत्र माना जाता है।
गैरसैण में कुमाऊनी व गढ़वाली के साथ हिंदी व अंग्रेजी भाषा भी प्रयाप्त रूप से बोली जाती है |
क्षेत्र का शिक्षा प्रतिशत लगभग 88% है |
आवागमन
आवागमन हेतु हवाई अड्डे पंतनगर हवाई अड्डा , जोलीग्रांट एयरपोर्ट दोनों 200 किलोमीटर व आपातकाल हेतु गौचर हवाई पट्टी जो की महज 50 से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं प्रस्तावित सबसे निकट हवाई अड्डा चौखुटिया हैं जो 35 से 40 किलोमीटर पर हैं |
इन सभी जगहों से गैरसैंण टैक्सी व बसों से आसानी से पहुँचा जा सकता हैं |
रेल मार्ग के निकटतम रेलवे स्टेशन रामनगर व रेलवे जंक्शन काठगोदाम हैं यहाँ से भी 150 से 175 किलोमीटर ही हैं
उत्तरखंड परिवहन निगम की बसों से राष्ट्रीय राजधानी ISBT आनंदविहार दिल्ली से 12 से 15 घंटे में यहाँ पहुँच जा सकता हैं |
राज्य में रोजगार व पलायन
यह उत्तराखण्ड वासियों का दुर्भाग्य हैं की प्राकृतिक धन सम्पदा से भरपूर राज्य आज पलायन की मर झेल रहा हैं |
राज्य के युवाओं को सरकारों की नाकामी का बोझा दिल्ली, चंडीगढ़, मुंबई आदि मेट्रोसिटी में अपने घरो से दूर बिपरीत परस्थितियों में ढोना पड़ता हैं |
अब अगर पलायन न होगा तो फिर क्या होगा |

समस्या इस कदर बढ़ती जा रही हैं की आने वाले कुछ वर्षों में पहाड़ में सिर्फ बन्दर ही राज करेंगे वीरान घरों में जीवन जैसा कुछ नहीं होगा|
एक पहल स्थाई राजधानी के साथ यह भी होनी ही चाहिए पलायन जैसी समस्या में अगर स्थाई राजधानी गैरसैण हो भी जाये तो क्या रोजगार उपलब्ध होंगे | पलायन पर रोकथाम होगी ?
अगर हाँ तो कैसे? और न तो क्यों ?
जानकारी का श्रोत विकिपीडिया गूगल
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A5%88%E0%A4%B0%E0%A4%B8%E0%A5%88%E0%A4%82%E0%A4%A3
@पहाड़ी मित्र
सुरेंद्र कुमार
उत्तराखण्ड अलग राज्य की मांग में स्थाई राजधानी के लिए उत्तराखण्ड के मध्य स्थित गैरसैण (चमोली) को ही चिन्हित किया गया था, किन्तु कुछ अपरिहार्य कारणों के चलते देहरदून को अस्थाई राजधानी बना कर गैरसैंण को विचारधीन रख दिया गया |
वर्तमान में कुछ आंदोलन जोर पकड़ने की कोशिश कर रहे है लेकिन यह आंदोलन क्या निष्कर्ष तक पहुँच पाएंगे या फिर SSB गोरिल्ला आंदोलन की तरह सिर्फ चलते ही रहेंगे |
गैरसैण पर सभी राजनीतिक दलों ने अपना पक्ष पुरजोर तरीके से कभी नहीं उठाया | बस चुनावी जुमले की तरह सभी अपना सर हिला देते है |
पहाड़ की राजधानी पहाड़ न होने के कारण विकाश कार्यों की धीमी गति ने प्रदेश की कमर तोड़ के रखी है|
भौगोलिक विशेषता
गैरसैंण का नाम स्थानीय भाषा (बोली ) गैर ( भू-भाग का गहरा होना) व सैण ( समतल ) अथवा गहरा व समतल मैदानी भाग होने से ही पड़ा हैं| इसके साथ ही जैसे गैरसैंण के समीपवर्ती भिकियासैंण, चिन्यालीसैंण, थैलीसैंण, भराड़ीसैंण इत्यादि कुमांऊँ व गढ़वाल के दोसॉंद यानि दो सीमाओं का सीमावर्ती भूभाग है|
गैरसैंण समुद्र सतह से लगभग 5750 फुट की ऊँचाई पर स्थित मैदानी तथा प्रकृति का सुन्दरतम भू-भाग है। यह समूचे उत्तराखण्ड के बीचों-बीच तथा सुविधा सम्पन्न क्षेत्र माना जाता है।
गैरसैण में कुमाऊनी व गढ़वाली के साथ हिंदी व अंग्रेजी भाषा भी प्रयाप्त रूप से बोली जाती है |
क्षेत्र का शिक्षा प्रतिशत लगभग 88% है |
आवागमन
आवागमन हेतु हवाई अड्डे पंतनगर हवाई अड्डा , जोलीग्रांट एयरपोर्ट दोनों 200 किलोमीटर व आपातकाल हेतु गौचर हवाई पट्टी जो की महज 50 से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं प्रस्तावित सबसे निकट हवाई अड्डा चौखुटिया हैं जो 35 से 40 किलोमीटर पर हैं |
इन सभी जगहों से गैरसैंण टैक्सी व बसों से आसानी से पहुँचा जा सकता हैं |
रेल मार्ग के निकटतम रेलवे स्टेशन रामनगर व रेलवे जंक्शन काठगोदाम हैं यहाँ से भी 150 से 175 किलोमीटर ही हैं
उत्तरखंड परिवहन निगम की बसों से राष्ट्रीय राजधानी ISBT आनंदविहार दिल्ली से 12 से 15 घंटे में यहाँ पहुँच जा सकता हैं |
राज्य में रोजगार व पलायन
यह उत्तराखण्ड वासियों का दुर्भाग्य हैं की प्राकृतिक धन सम्पदा से भरपूर राज्य आज पलायन की मर झेल रहा हैं |
राज्य के युवाओं को सरकारों की नाकामी का बोझा दिल्ली, चंडीगढ़, मुंबई आदि मेट्रोसिटी में अपने घरो से दूर बिपरीत परस्थितियों में ढोना पड़ता हैं |
अब अगर पलायन न होगा तो फिर क्या होगा |

समस्या इस कदर बढ़ती जा रही हैं की आने वाले कुछ वर्षों में पहाड़ में सिर्फ बन्दर ही राज करेंगे वीरान घरों में जीवन जैसा कुछ नहीं होगा|
एक पहल स्थाई राजधानी के साथ यह भी होनी ही चाहिए पलायन जैसी समस्या में अगर स्थाई राजधानी गैरसैण हो भी जाये तो क्या रोजगार उपलब्ध होंगे | पलायन पर रोकथाम होगी ?
अगर हाँ तो कैसे? और न तो क्यों ?
जानकारी का श्रोत विकिपीडिया गूगल
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A5%88%E0%A4%B0%E0%A4%B8%E0%A5%88%E0%A4%82%E0%A4%A3
@पहाड़ी मित्र
सुरेंद्र कुमार
jaiho
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