THE DANCE OF DEVTA'S | देव नृत्य

THE DANCE OF DEVTA'S | देव नृत्य 

कुछ इस प्रकार से किया जाता है देवताओं का आवाहन|  भारतवर्ष के उत्तर में हिमालय की गोद में आज भी भगवान के होने की संतुष्टि आप को जरूर हो जाएगी | एक बार आप इन वादियों देव भूमि के दर्शन हेतु  चलिए तो सही | 
देव नृत्य एक सांस्कृतिक कार्यकर्म है | जिसका आधार आस्था है अपने इष्ट देवताओं के प्रति 
इसका विशेष पूजन के लिए कुछ किताबे लिखी गई है जो वर्तमान समय में काम ही मिलती है हालंकि ये किताबे #ढोल सागर, विज्ञान भैरव मुश्किल से कुछ ही लोग पड़े लिखे है सायद वो भी ये खुल कर सामने नहीं आते  




लेकिन यह विद्या पारिवारिक है इसलिए अभी भी इसे बहुत लोग मौखिक सीख लेते है व काम चलने योग्य हो जाते है यहाँ इस विद्या को कुछ विशेष जाति के लोग ही सिखते है व इस कारण से ऐसे लोग काम ही मिल पते है हालंकि देवता पूजन में इतिहास की भाष में कहे तो ऋग्वेद काल के चारो वर्णो का योगदान होता है व सभी लोगो की आस्था एक सामान होता है 
इस देवकार्य का मुख्य उदेश्य सुख: शांति ही होता है | 





विडियो आभार - @PAHADI MITRA
SURENDRA KUMAR
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